Suresh Singh Khalsa No Further a Mystery
Suresh Singh Khalsa No Further a Mystery
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उन्होंने अपनी भूख हड़ताल के माध्यम से सिख समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और सरकार से बंदी सिखों की रिहाई की मांग की. उनके संघर्ष ने देशभर में सिखों के अधिकारों को लेकर जागरूकता पैदा की और उन्हें एक प्रतीक के रूप में सम्मानित किया गया.
I used to be pleased to get it and curious to check out what this e book mentioned. My mothers and fathers weren’t there to seize it and toss it or yell at me and make me come to feel anxious and guilty for holding it or wanting to read through it. Alhamdulilah, for the space, I don’t know if I could at any time have study it without the need of this distance. Exalted would be the Knowledge of Allah, truly!
Whilst on the way to halt the Guru he not simply goes blind but in addition loses his capability to communicate. This was more than enough to produce him realize he was generating a problem that has a holy gentleman so he humbled himself and instead prayed that Guru Nanak bless him.
तब दासी बोली: देखो रानी! तुम पहले भी इस प्रकार आलस्य करती थी, तुम्हें धन रखने में कष्ट होता था, इस कारण सभी धन नष्ट हो गया और अब जब भगवान बृहस्पति की कृपा से धन मिला है तो तुम्हें फिर से आलस्य होता है।
'कुत्ते के कटे सिर' वाले मोमोज को लेकर लोगों ने क्या बताया?
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Guru ji gave many teachings to them and now this deep and vital story is obtainable for the subsequent era to learn from.
बर्बरीक की पूजा खाटु श्याम जी के रूप में की जाती है। बर्बरीक महाभारत के एक महान योद्धा थे। वे घटोत्कच और अहिलावती (नागकन्या माता) के सबसे बड़े पुत्र थे। उनके अन्य भाई अंजनपर्व और मेघवर्ण का उल्लेख भी महाभारत में दिया गया है। बर्बरीक को उनकी माँ ने यही सिखाया था कि हमेशा हारने वाले की तरफ से लड़ना और वे इसी सिद्धांत पर लड़ते भी रहे। बर्बरीक को कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त थीं, जिनके बल से पलक झपते ही महाभारत के युद्ध में भाग लेनेवाले समस्त वीरों को मार सकते थे। जब वे युद्ध में सहायता देने आये, तब इनकी शक्ति का परिचय प्राप्त कर श्रीकृष्ण ने अपनी कूटनीति से इन्हें रणचंडी को बलि चढ़ा दिया। महाभारत युद्ध की समाप्ति तक युद्ध देखने की इनकी कामना श्रीकृष्ण के वरदान से पूर्ण हुई और इनका कटा सिर अंत तक युद्ध देखता check here और वीरगर्जन करता रहा।
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अगर हम तेजाजी के समाज सुधार के कार्यों के बारे में देखे तो पता चलता है कि बचपन में ही उनके साहसिक कारनामों से लोग आश्चर्यचकित रह जाते थे. कुंवर तेजपाल बड़े हुए. उनके चेहरे की आभा चमकने लगी. वे राज-काज से दूर रहते थे. वे गौसेवा में लीन रहते थे. उन्होंने कृषकों को कृषि की नई विधियां बताई. पहले जो बीज उछाल कर खेत जोता जाता था, उस बीज को जमीन में हल द्वारा ऊर कर बोना सिखाया. फसल को कतार में बोना सिखाया. इसलिए कुंवर तेजपाल को कृषि वैज्ञानिक कहा जाता है. गौसेवा व खेतों में हल जोतने में विशेष रुचि रखते थे. तेजाजी ने ग्यारवीं शदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने में कई बार अपने प्राण दांव पर लगा दिये थे. तेजाजी सत्यवादी और दिये हुये वचन पर अटल रहते थे.
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The Disciples of Truth’s journey into Sikhism marked the primary major mass Sikh conversion of usa citizens to the religion. On the other hand, their story took a controversial change during the decades that followed.